आख़री पन्ना

अब मैं इस किताब का आख़री पन्ना सजा रहा हूँ , पन्ऩै काफ़ी ज़्यादा हो चुके है , और अब कोई नया लम्हा भी तो नहीं, जो मैंने उसके साथ बिताया हो ।।। सब पुराने ही रह रह कर याद आते है , अब ऐसा कोई नया लम्हा हो भी अगर तो उसकी ास भीContinue reading “आख़री पन्ना”

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